नई बहू: एक भावनात्मक पारिवारिक कहानी

नई बहू: एक भावनात्मक पारिवारिक कहानी

सुनीता एक घरेलू महिला थीं, जिनके दो बेटे—राज और मुकेश, और एक बेटी नेहा थी। उनके पति रोहन एक समझदार और शांत स्वभाव के व्यक्ति थे। नेहा की शादी कुछ महीने पहले ही हो चुकी थी, और उसके बाद घर के सारे कामों की जिम्मेदारी सुनीता के कंधों पर आ गई थी।

नई बहू: एक भावनात्मक पारिवारिक कहानी
 नई बहू: एक भावनात्मक पारिवारिक कहानी


एक रात डिनर के दौरान सुनीता ने अपने बड़े बेटे राज से कहा,


> "अब मुझसे घर का सारा काम अकेले नहीं होता, बेटा।"


राज ने भी मां की परेशानी को समझा और शादी के लिए हां कह दी। कुछ ही दिनों में एक अच्छे घर से रिश्ता आया, और लड़की की सादगी व संस्कार देखकर सुनीता को वह पसंद आ गई। शादी हो गई, और सुनीता को एक प्यारी, समझदार बहू मिल गई। बड़ी बहू घर को बहुत अच्छे से संभालती थी, जिससे सुनीता को भी राहत मिली।


📚 मुकेश की मोहब्बत


समय बीता और अब छोटे बेटे मुकेश की भी शादी की उम्र हो गई। सुनीता ने बात छेड़ी, लेकिन मुकेश बोला,


> "मां, मैं अभी पढ़ाई करना चाहता हूं। कुछ बनना चाहता हूं।"


हालांकि सुनीता ने समझाया कि शादी के बाद भी पढ़ाई हो सकती है, लेकिन मुकेश थोड़ा सोचने का समय मांगता है।

कॉलेज में मुकेश की मुलाकात पूजा से हुई थी, दोनों एक-दूसरे से प्रेम करते थे। जब मां ने शादी के लिए जोर देना शुरू किया, तो मुकेश ने पूजा से बात की। पूजा ने कहा,

> "अगर तुम मुझसे सच में प्यार करते हो, तो आज ही मंदिर चलो।"



दोनों ने मंदिर में जाकर चुपचाप शादी कर ली।


🏠 जब मुकेश घर लौटा...


घर में सब चौंक गए। सुनीता ने पूछा,


> "यह लड़की कौन है?"


मुकेश ने जवाब दिया,


> "मां, यह आपकी छोटी बहू है।"


जब पूजा ने बताया कि उसके पिता ऑटो चालक हैं, तो सुनीता को बहुत दुख हुआ।


> "इतने अच्छे रिश्ते आ रहे थे... और तुम एक गरीब घर की लड़की से शादी कर लाए?"


मुकेश के पिता ने माहौल संभाला और कहा,


> "अब जो हो गया सो हो गया। अब उसे अपना लो।"


🌼 सास-बहू का रिश्ता


सुनीता मन से पूजा को नहीं अपना सकी। वह पूजा से रूखा व्यवहार करती, ताने मारती, बात-बात में दोष देती। बड़ी बहू ने कई बार समझाया,


> "मां जी, पूजा अच्छी लड़की है। उसे मौका दीजिए।"


लेकिन सुनीता की सोच नहीं बदली। एक दिन घर में केवल सुनीता और पूजा थीं। पूजा ने सास को खाना खिलाया। जब सुनीता अपने कमरे की ओर जा रही थीं, तो उनका पैर फिसल गया और वह सीढ़ियों से नीचे गिर गईं। सिर में गहरी चोट आई और वह बेहोश हो गईं।


🚑 बहू ने निभाया धर्म


पूजा घबराई नहीं। खून रोकने के लिए कपड़ा बांधा, फिर अपनी सास को कंधे पर उठाकर कार में बैठाया और सीधा अस्पताल पहुंची। डॉक्टर ने कहा,


> "समय रहते इलाज हुआ, वरना बचाना मुश्किल था।"


जब सुनीता को होश आया और उन्हें बताया गया कि उनकी जान किसने बचाई है, तो उनकी आंखों में आंसू आ गए। उन्होंने पूजा को गले लगाकर कहा,


> "मुझे माफ कर दो बेटी, मैंने तुम्हें हमेशा गलत समझा।"


पूजा मुस्कराते हुए बोली,


> "मां जी, सेवा करना तो मेरा धर्म है।"

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🌸 Moral of the Story:


कभी-कभी रिश्ते जन्म से नहीं, कर्म से बनते हैं। असली बहू वही है

, जो अपने कर्मों से सास का दिल जीत ले। प्यार, सहनशीलता और सेवा से हर दिल को जीता जा सकता है।

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